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Maurya Vansh CGVYAPAM

आज से 16,000 साल पहले भारत हमारा 16 महाजनपद में बॅंटा हुआ था, महाजनपद ;भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण शब्द है। यह संस्कृत शब्द श्महाश् ;बड़ाद्ध और श्जनपदश् ;लोगों का जनसमूहद्ध से बना हैए जिसका अर्थ होता है श्बड़े लोगों का समूहश्।

1.मगध

जिसकी राजधानी पाटलीपुत्र रही

मौर्य साम्राज्य/मौर्य वंश

मगध, उत्तर भारत का भू-भाग है, यह आर्थिक रूप से मजबूत था क्यों कि यहाॅं उसकी भौगोलिक स्थिति अच्छी थी, जमीन उपजाउ थे, नदियाॅं थी, जंगल थे जिस कारण यह मजबूत था।

मगध महाजनपद में सात राजवंशों ने शासन किया था जिसके नाम कुछ इस प्रकार हैं -

1. हर्यक वंश

2. शिशुनाग वंश

3. नंद वंश

4. मौर्य वंश

5. शुंग वंश

6. कर्ण वंश

7. आन्ध्र सातवाहनवंश



सिकन्दर / एलेक्जेन्डर


सिकन्दर का सेनापति था सेल्युकस निकेटर तथा निरयाकस

निरयाकस जल सेनापति था

झेलम नदी के किनारे वितस्ता/हाईडेस्पीज का युद्व लड़ा था सिकन्दर और पोरस ने

बेबीलाॅन में 33 साल की उम्र में सिकन्दर की मृत्यु हो जाती है 

झेलम नदी के तट पर कौन अपना पड़ाव डाल के बैठा था - सिकन्दर और पोरस

झेलम नदी के किनारे किसने युद्ध लड़ा था - सिकन्दर और पोरस

झेलम नदी के किनारे के युद्ध में किसकी विजयी हुई थी - सिकन्दर 

सिकन्दर का समकालीन था धनानंद जिसकी 5 लाख की सेना थी 

सिकन्दर की मृत्यु 33 साल की उम्र में हुई थी 323 बी सी में मृत्यु हुई।

सिकन्दर के घोड़े के नाम बुकापेलस था ।

मकदुनीया का शासक था सिकन्दर

हर्यक वंश

ब्रम्हदत्त को मारकर बिम्बीसार ने हर्यक वंश की स्थापना की थी

हर्यक वंश का संस्थापक - बिम्बीसार था ।

बिम्बीसार बौध धर्म का संस्थापक था ।

सबसे प्राचीन वंश का संस्थापक - बृहदत्त

सबसे पहला शासक मगध का ब्रम्हदत्त था जिसे हर्यक वंश के प्रथम शासक तथा संस्थापक ने मार कर अंग महाजनपद कब्जे में किया था।

हर्यक वंश के संस्थापक का नाम बिम्बिसार था, बिम्बिसार के वैध का नाम जीवक था, बिम्बीसार ने मुख्य 4 शादियाॅं की थी, प्रथम महाकोशली जो की कोशलनरेश की पुत्री थी तथा प्रसनजीत की बहन थी, जिन्होंने विवाह करके कोशल को मगध में जोड़ा था, दूसरे में चेलन्ना से विवाह किया था, जो की वैशाली की थी, प्रायः बिम्बीसार बुद्व धर्म का अनुयायी था किन्तु चेलन्ना से विवाहोपरांत बिम्बीसार ने जैन धर्म अपनाया था।

तृतीय विवाह छेमा से हुआ था जिससे पंजाब जीता था।

बिम्बीसार के वक्त में मगध की राजधानी राजगृह हुआ करती थी।

चतुर्थ विवाह आम्रपाली से हुआ था ।

बिम्बीसार का प्रथम पुत्र आजातशत्रु चेलन्ना से हुआ था।

आजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बीसार को मारा था ।

द्वितीय शासक हर्यक वंश का आजात शत्रु था जिसने वैशाली को जीतने के लिए मंत्री वर्षकार को भेजा था, वैशाली में जीत के लिए रथमुस्ला और महाशीलाकंटका का इस्तेमाल किया था ।

हर्यक वंश का तृतीय शासक आजात शत्रु का पुत्र उदायिन था, जिसने राजगृह को राजधानी से हटाकर पाटलीपुत्र को राजधानी का दर्जा दिया था ।

आजात शत्रु को उसके पुत्र उदायिन ने मारा था।

आजात शत्रु का दूसरा नाम कुणिक था तथा बिम्बीसार का श्रोणिक था।

उदायिन के बाद उदायिन का पुत्र नागदशक हर्यक वंश का आखिरी शासक बना जिसे शिुशुनाग ने मारा था जो कि नागदशक का सेनापति था।

शिशुनाग वंश


शिशुनाग ने शिशुनाग वंश की नीव रखी उदायिन के पुत्र नागदशक को मार कर ।

शिशुनाग वंश का द्वितीय शासक कालाशोक था।

कालाशोक की राजधानी थी पाटलिपुत्र

शिशुनाग वंश का अंतिम शासक नंदीवर्धन था।

नंदीवर्धन को महापद्मनंद ने मारा था और नंद वंश का संस्थापक बना।

शिशुनाग वंश के बाद नंद वंश बना जिसके संस्थापक महापद्मनंद थे जिसे धनानंद ने मारा ।

प्रायः चाणक्य धनानंद का मंत्री हुआ करता था।

कौटिल्य को भारत के मैकियावेली के रूप में जाना जाता है। कौटिल्य एक अर्थशास्त्रीए शिक्षक और शाही सलाहकार थे।

महापद्मनंद को महाक्षत्रहंता कहा जाता है।


मौर्य वंश


चन्द्रगुप्त मौर्य और चाणक्य ने सेल्युकस निकोटर को हरा दिया तब काबुल,कान्धार,हेरात,मकराम दिया सेल्युकस को और बदले में विवाह तथा हाथी लिए गए

धनानंद को चन्द्रगुप्त मौर्य ने मार कर मौर्य वंश की स्थापना की थी 

चन्द्रगुप्त मौर्य की माता का नाम मोरा था जिस कारण मौर्य नाम बना।

चाणक्य चन्द्रगुप्त के मंत्री बने

चन्द्रगुप्त मौर्य बौद्व धर्म के उपासक थे

चन्द्रगुप्त ने सेल्युकस को हराया था और उसकी पुत्री हलीना तथा कार्नाेलीया से विवाह किया था।

सुदर्शन झील को चन्द्रगुप्त मौर्य के सामंत पुष्यगुप्त ने बनाया था

बिन्दुसार की मात्रा सुगन्धा थी जो की चन्द्रगुप्त की पत्नि थी

चन्द्रगुप्त मौर्य में धनानंद को हराया था और चाणक्य को अपना प्रधानमंत्री बनाया था।

मौर्य काल के शासक महत्वपूर्ण निम्न थे-

1. चन्द्रगुप्त मौर्य जिसने धनानंद को मारा था उसके बाद सेल्युकस की बेटी जो की विदेश से आई हुई थी हलीना तथा कार्नोलिया उससे भी विवाह किया, चन्द्रगुप्त मौर्य का बेटा बिन्दुसार था जो कि चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद  बना।

2. बिन्दुसार - इसके 101 बेटे थे जिसमें सबसे बड़ा बेटा सुशीम था, किन्तु वह अयोग्य था इसलिए अशोक जो कि बिन्दुसार के बाद मौर्य वंश का शासक बना।

3. बिन्दुसार ने 26 शादियां की थी

बिन्दुसार को और किस नाम से जाना जाता था - अमित्रघात

4. दशरथ

अंतिम शासक मौर्य वंश का बृहद्रथ था उनकी हत्या उनके ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की थीए जिन्होंने शुंग वंश की स्थापना की थी।


कलिंग उस काल में उड़ीसा को कहा जाता था।

कलिंग आक्रमण के बाद अशोक का हृदय परिवर्तन हो चुका था जिसके बाद उसने बौध धर्म अपना लिया था।

इंडस किताब किसने लिखा था - मेगास्थिनिज जो कि चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था ।

मुद्राराक्षस किसने लिखा था - विशाखदत्त ।

चाणक्य का नाम क्या क्या था - विष्णुगुप्त , कौतिल्य , चाणक्य

चाणक्य का किताब कौन सा था - अर्थशास्त्र

चाणक्य का शिष्य था उपगुप्त जिसे अशोक ने मंत्री बनाया था

अशोक ने बौध धर्म की शिक्षा उपगुप्त से ली थी कलिंग आक्रमण के बाद

चाणक्य ने आखिरी समय बिताया था - श्रवणबेलगोला , कर्नाटक में

चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म की दिक्षा भद्रबाहु से ली थी।

चन्द्रगुप्त मौर्य ने चार प्रांत दिये थे सेल्युकस को जो थी काबुल,कन्धार,हेरात,मकरान।

बिन्दुसार ने सीरिया से मीठी शराब, सुखी अंजीर , दाईमेकस 

अशोक के दरबार में डायोनिसियस आया था ।

चन्द्रगुप्त के समय में मेगास्थिनिज आया था।

चन्द्रगुप्त मौर्य बौध धर्म का अनुयायी था ।

बिन्दुसार आजीवक सम्प्रदाय ।

अशोक बौध धर्म का अनुयायी था ।

आजीवक के संस्थापक - मक्खली गोशाल

जिसके विवाह से बिन्दुसार का जन्म हुआ

बिन्दुसार के 101 पुत्र थे जिसमें सबसे बड़ा सुशीम था किन्तु सूशीम अयोग्य था जिस कारण अशोक को बिन्दूसार के बाद मौर्य वंश का शासक बनाया गया। 

अशोक ने कलिंग युद्व किया और उसके बाद अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ जिससे उसने बौद्व धर्म अपनाया 

अशोक अपने पुत्र महेन्द्र और संघमित्रा को बौध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेज दिया। 

अशोक के बाद मौर्य वंश का आखिरी शासक बृहदृत्त था, जिसे पुष्यमित्र शुंग सेनापति ने मारा और शुंग वंश की स्थापना की।

अशोक का नाम अशोक मिलता है - मास्की एवं गुर्जरा में

अशोक के 14 अभिलेख थे जो कि शिला लेख, स्तंभ लेख, गुहा लेख, दिवार लेख में थे।

प्रथम अभिलेख में अशोक ने कहा था जानवरों की हत्या ना करना।

द्वितीय में जानवरों तथा मनुष्यों के ईलाज को बताया गया है

13 में कलिंग युद्व का वर्णन तथा हृदय परिवर्तन

14 में अहिंसा

अशोक के समय राजदूत आया था डियानिसियस



 शुंग वंश


शुंग वंश के संस्थापक पुष्यमित्र शुंग थे

पुष्यमित्र का बेटा अग्निमित्र था।

शुंग वंश के द्वितीय शासक देवभूती तथा अंतिम शासक बना।

इसे ब्राम्हण वंश कहा गया है।

पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के दरबार में रहते थे।

पुष्यमित्र शुंग ने भरदूप स्तूप का निर्माण कराया था

भागभद्र शुंग वंश का शासक था इसकी राजधानी विधिसा थी


कण्व वंश

देवभूती को वाशुदेव ने मारा था और कण्व वंश की स्थापना की।

कृृण्य वंश के संस्थापक वसुदेव था, जिसके बाद भूमीमित्र उसके बाद नारायण तथा सुशर्मा था।

सुशर्मन की हत्या सिमुक ने की थी ।

सुशर्मन कृण्य वंश का आखिरी शासक था।

जिसे सिमुक ने मार कर सातवाहन वंश की स्थापना की।



सातवाहन वंश

सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुक था।

शतवर्णी प्रथम ने दो अश्वमेघ यज्ञ तथा एक राजसूय यज्ञ किया था।

सातवाहन वंश में दान देना इत्यादि शुरू हो चुका था। 

मगध नरेश

यह वंश मातृसप्तातमक था

सातवाहन वंश के प्रथम शासक ने दो यज्ञ कराया था जिसका नाम शातकर्णी प्रथम था अश्वमेघ यज्ञ था और एक राजसूय यज्ञ था 

साहित्यकार- हाल ने गाथा सप्तशतक

साहित्यकार- वृहदकथा को गुणाढय ने लिखा था

बाम्हणों को भूमी दान देना सातवाहन वंश में चालू हुआ 

इस वंश की भाषा प्राकृत थी तथा लिपी - ब्राम्ही



शक वंश


शक वंश का प्रथम शासक था मोअ तथा माउस

शको की शाखा थी  - कान्धार,नासिक,उज्जैन,तक्षशीला,मथुरा

तक्षशीला में एक शासक था एजेलीशेजे जिसने सिक्के बनाये जिसमें लक्ष्मी जी की फोटो होती थी ।

शक वंश के एक शाखा उज्जैन का शासक था रूद्रदमन प्रथम जिसने जूनागढ़ अभिलेख लिखा था ।

शक वंश का प्रमुख शासक रूद्रदमन प्रथम था जिसने सुदर्शन झील को रिपेयर कराया था।

शक वंश का अंतीम शासक रूद्रदमन तृतीय था जिसे गुप्त वंश के चन्द्रगुप्त द्वितीय ने मारा था।

संस्कृत भाषा में पहला अभिलेख जूनागड़ अभिलेख जो की रूद्रदमन ने लिखा था ।

सुदर्शन झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया था जिसकी जानकारी जूनागढ़ अभिलेख में है।

रूद्रदमन प्रथम ने सुदर्शन झील का मरम्मत कराया था ।

सुदर्शन झील गुजरात सौराष्ट में बनाया गया था ।

शक वंश का आखिरी शासक रूद्रदमन तृतीय को चन्द्रगुप्त द्वितीय ने मारा था जो कि गुप्त वंश के शासक रामगुप्त का भाई था, रामगुप्त की पत्नि की वजह से से जिसका नाम ध्रुवस्वामीनी था।

गुप्त वंश का शासक था रामगुप्त था जिसकी पत्नि को रूद्रदमन तृतीय ने मांग दिया उसकी पत्नि की मंाग की थी।

विक्रम संवत 58 बी.सी में प्रारंभ हुआ था।

शक संवत 78 ए.डी में प्रारंभ हुआ था।




पह्लव/पार्थियंस

शक के बाद आता था पह्लव/पार्थियंस जो कि ईरान से आये थे जिसका शासक गोण्डोफर्निस ये एक राजा था इसके समय में सेंट थाॅमस आया जो की ईसाई धर्म का प्रमुख प्रचारक था।


फाॅरेन से आये शासक थे प् ै च् ज्ञ ईन्डोग्रीक जिसके 


भारत में आक्रमण करने वाला प्रथम शासक था डेमेट्िरयस हिन्द युनान




कुषाण वंश


कुषाण वंश का संस्थापक था कुजुल कडफिसेस

कुषाण का प्रमुख शासक था कनिष्क

कनिष्क बौद्व धर्म का अनुयायी था

कुषाण का अंतिम शासक था वासुदेव

कुजुल कडफिसेस युची जनजाती के थे

रेशम बनने की तकनीक का आविष्कार हुआ था चाईना में

सबसे पहले शुद्व सोने के सिक्के इसी काल में मिले

कनिष्क कृष्ण महायान का फाॅलोवर था

रेशम मार्ग पर कनिष्क ने नियंत्रण किया था, चाईना के राजा पान चाउ को हरा कर 

कनिष्क की राजधानी पेशावर तथा मथूरा थी

कनिष्क का वैद्य था चरक जिसकी रचना थी चरकसंहिता

कनिष्क का अध्यक्ष था वसुमित्र जिसने महाविभाषसूत्र की रचना की थी।

कनिष्क के समय राजवैद्य था चरक जिसके चरक संहिता लिखी थी

कनिष्क के समय बौद्व धर्म की चैथीं मीटिंग रखी गई थी कुण्डल में

शक संवत कनिष्क ने चालू किया था 78 ई.पू. में

कनिष्क का शैल्य चिकित्सक था सुश्रुत

अश्वघोश कनिष्क का दरबारी था जिसने बुद्वचरित लिखा था

शून्यवाद का सिद्वांत नागार्जून ने दिया था

कनिष्क के दरबार का नागार्जून बौद्व भिक्षुक था










गुप्त वंश


गुप्त वंश का संस्थापक - श्री गुप्त

श्री गुप्त ने महाराज की उपाधि ली और श्री की

घटोत्कच को भी महाराज बोला गया

गुप्त कुशाणों के सामंत थे

गुप्त वंश के सारे शासक - श्री गुप्त, घटोत्कच, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमार गुप्त, स्कंदगुप्त , विष्णु गुप्त

वास्तविक संस्थापक बोला गया चन्द्रगुप्त प्रथम को

319-20 ई. में गुप्त संवत् चलाया चन्द्रगुप्त प्रथम ने

चन्द्रगुप्त प्रथम ने उत्तर भारत के 21 राजवंशों को हराया 

चन्द्रगुप्त प्रथम को महाराजाधीराज की उपाधि दी गई थी।

समुद्रगुप्त ने 100 युद्व लड़े और सारे युद्व जीत गए

समुद्रगुप्त ने 100 लड़ाईयां लड़ी थी क्योंकि उसे सम्मान नहीं दिया गया था जिसके बाद उसने 100 लड़ाईयां लड़ी और सारी लड़ाईयां जीत गया जिस कारण इसे स्मित ने हीरोस आॅफ 100 बैटल कहा।

स्मित ईतिहासकार था।

समुद्रगुप्त के दो उपाधि थी कविराज और विक्रमांक

इंडियन एशियन नेपोलियन कहा गया समुद्रगुप्त को कहा गया

समुद्रगुप्त संगितकार था उसके सिक्कों में वीणा बजाते हुए सिक्के मिले थे

श्रीलंका का एक शासक समकालीन था समुद्रगुप्त का मेधवर्मन था।

मेधमर्वन ने समुद्रगुप्त से बौधगया में बौधविहार का बनाने का मांगा

हूणों का आक्रमण किसके शासनकाल में हुआ था- स्कन्दगुप्त

भारत का नेपोलियन किस गुप्त शासक को कहा जाता है - समुद्रगुप्त को

वास्तविक संस्थापक गुप्त वंश के संस्थापक जिसने विस्तार किया था वो थे चन्द्रगुप्त प्रथम

चीनी यात्री फाहान किसके शासनकाल में आया था - चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य/द्वितीय

319 - 20 ई. में गुप्त संवंत चलाया तथा इसी वक्त गद्दी पर बैठा

चन्द्रगुप्त द्वितीय के नवरत्न थे कालिदास,धनवंतरी,बेतालभट्ट,शंकु,वराहमिहीर,वररूची,घटकर्पर

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने की थी।

सर्वाधिक सिक्के का भंडार बयाना में मिली

नवनीतकम किसने लिखा- धनवंतरी ने

गुप्त कुषाणों के सामंत थे

एरण अभिलेख लिखा था भानुगुप्त ने, इसमें सति प्रता का उल्लेख मिलता है


भारत का आइंस्टीन नागार्जून को कहा जाता है जिसने माध्यमिक सूत्र की चरना की थी

बौध धर्म की तीसरी संगति अशोक के समय हुई थी।

गुप्त काल के किताब-  

    1.कालिदास ने सात किताब लिखे थे

     -- कुमार संभवम, अभिज्ञान शकुंतलम, रीतुसंहारम, रघुवंशम,मल्लिका अग्निमित्रम, मेघदूतम,विक्रमोवर्शियम

2. विशाखदत्त के किताब

-- मुद्राराक्षस

-- देवीचन्द्रगुप्तम

3. शुद्रक के किताब

-- मृच्छकटिकम


4. कामंदक ने किताब

-- नितिसार

5.भरतभूमि के किताब

-- नाट्यशास्त्र

6.विष्णुशर्मा के किताब

--पंचतंत्र

7.वात्सयायन के किताब

--कामसूत्र

सुदर्शन झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य के सामंत पुष्यगुप्त ने कराया था।

दूसरी बार मरम्मत गुप्त वंश के शासक स्कंदगुप्त ने कराया था।


वर्धन वंश


पुष्यभूति वंश/वर्धन वंश - इस वंश के संस्थापक पुष्यभूति थे इस वंश का प्रभावशाली शासक था प्रभाकर वर्धन जिसने दो उपाधि ली थी प्रथम परमभट्टारक तथा महाराजाधिराज,हुड़हरण केसरी ।

यह पंजाब का शासक था

मालवा का देवगुप्त राजश्री को पसंद करता था इसलिए गृहवर्मा कन्नौज मोखरी के शासक पर आक्रमण किया

वर्धन वंश के प्रभावशाली शासक प्रभाकर वर्धन के दो पुत्र और एक पुत्री थी जिसका नाम हर्षवर्धन तथा राज्यवर्धन था पुत्री राजश्री थी जिसका विवाह कन्नौज के शासक मोखरी वंश के गृहवर्मा से हुआ था जिसे देवगुप्त ने कब्जा कर लिया था 

राज्यवर्धन के समय देवगुप्त के कब्जा करते ही राज्यवर्धन गए और देवगुप्त को मारा लेकिन उसके मित्र शशांक ने उसे मार दिया उसके बाद हर्षवर्धन ने उसे हराकर मारा।

बंगाल का गोंड़ शासक था शशांक उसने राज्यवर्धन को मारा

चीनी यात्री हेनसांग किसके शासनकाल में आया था - हर्षवर्धन के समय

हर्षवर्धन ने किताब लिखे - नागानंद, रत्नावली, प्रियदर्शिका

हर्षवर्धन का दरबारी था बाणभट्ट

बाणभट्ट की पुस्तक थी हर्षचरित

हर्षवर्धन को सक्लोत्तरपथनाथ , हेनसांग ने बोला था

हेनसांग को यात्रियों का राजकुमार कहा गया

कुम्भ मेला हर्षवर्धन ने शुरू किया था

अग्रहार ब्राम्हणों को भूमी दान में देना कहलाता है


साउथ इंडियन वंश

संगम साहित्य- चोल,चेर,पांड्य थे जिन्हें नाम दिया गया है मुवेंद और इनकी जो संगति हो रही थी उसे नाम दिया गया था संगम साहित्य।

मुवेन्दार तीन मुखिया था

शेन्गुत्तावन जो की चेर वंश के शासक था वह लाल चेर से सम्बंधित है 

आदिगिमान जो की चेर वंश का शासक है उसने किसकी खेती की थी दृ गन्ना 

करिकाल चोल वंश का शासक था 

करिकाल ने कावेरी नदी ने बांध बनाया था 

एलारा चोल वंश का शासक था श्रीलंका में 50 साल राज किया 

पांडय वंश का शासक था नेंदुजेनियन

संगम साहित्य किस भाषा में था - तमिल

संगम साहित्य में तमिल के तीन राज्यों राज्यों का विवरण है जो की था चेर,चोल,पांड्य

यह तीन मिटिंग/संगति कहा हुई थी- मदुरै,कपाटपुरम्,मदुरै यह तीनो संगन पांडय के शाशन में हुए थे 

शिल्पादिकारम साहित्य किसने लिखा - इलंगों आदिगल

मणिमेखले साहित्य किसने लिखा - सत्तारी शतनार/सीतलैसत् तनार यह बौध धर्म से सम्बंधित है जिसमें सती प्रथा का साक्ष्य मिलता है

जीवक चिन्तामणी लिखि थी तिरूथक्केश्वर ने

तोलकापिय्यम लिखि थी तोलकापियर ने

कुरल के लेखक है तिरुवल्लुर 

वेल्लार क्या थे - बड़े किसानों को वेल्लार कहते थे

ग्रामभोज क्या थे - जमीेंदार

जीवक चिंतामणि सम्बंधित है जैन से 

पल्लव वंश के संस्थापक थे - श्रीविष्णु जिनकी राजधानी कांची थी अंतिम शासक थे अपराजित

राष्ट्रकुट वंश के संस्थापक थे- दंतिदुर्ग जिसकी राजधानी थी मान्यखेत थी

कल्याणी के चालुक्य वंश के संस्थापक थे - तैलप द्वितीय राजधानी थी कल्याणी

वातापी के चालुक्य वंश के संस्थापक थे - जयसिंह राजधानी थी वातापी/बादामी

वेंगी के चालुक्य वंश के संस्थापक थे - विष्णु वर्धन राजधानी थी वेंगी

वंश के संस्थापक थे - विजयालय राजधानी थी तंजौर

कदम्ब वंश के संस्थापक थे - मयुरशर्मन राजधानी थी वनवासी








पल्लव वंश


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पल्लव वंश कांची के पल्लव थे तमिलनाडु के

पल्लव वंश के संस्थापक थे सिंह विष्णु था

पल्लव वंश की राजधानी थी कांची

पल्लव वंश के सभी शासक वैष्णव धर्म के उपासक थे

भारवी , सिंह विष्णु के दरबार में रहता था ंिजसने किराताजूनियम लिखा था

वर्मन नाम के शासक पल्लव वंश से संबंधित हैं

महेन्द्र वर्मन ने मातविलास प्रहसन की रचना की थी

नरसिंहवर्मन प्रथम ने पुलकेशिन द्वितीय को हराया था और वातापि कोण्डा की उपाधि ली थी क्योंकि वातापी के चालुक्य जो थे वो राज करते थे बादामी में

दशकुमार चरितम का लेखक दण्डि था

दण्डि नरसिंहवर्मन द्वितीय के दरबार में रहता था

कांची का मुक्तेश्वर मंदिर और बैकुंठ पेरूमल मंदिर नरसिंहवर्मन द्वितीय ने बनवाया था

पल्लव के सारे शासक -

ंिसंह वष्णु , महेन्द्र वर्मन, नरसिंहवर्मन प्रथम, नरसिंहवर्म द्वितीय,नंदिवर्मन द्वितीय,अपराजीत वर्मन ये सारे पल्लव वंश के शासक थे

संस्थापक थे सिंह विष्णु

सिंह विष्णु वैष्णों धर्म को मानने वाले थे

एकास्मक मंदिर का निर्माण नरसिंहवर्मन प्रथम के समय में हुआ था जिन्हें रथ मंदिर कहा जाता है

सप्त पैगोड़ा किसे कहते हैं - एकास्मक मंदिर/रथ मंदिर को कहते हैं

सप्तपैगोड़ा किसने बनवाया था - नरसिंहवर्मन के समय पल्लव वंश  में बनाया गया था

पल्लव कांची में राज करते थे

सप्तपैगोड़ा सात मंदिर थे

सबसे छोटा रथ मंदिर/सप्तपैगोड़ा मंदिर द्रोपदी मंदिर है

नरसिंहवर्मन प्रथम जिसने रथमंदिर बनाया था उसने एक उपाधि ली वातापीकोण्ड की

नरसिंहवर्मन प्रथम ने पुलकेशिन द्वितीय को हराया था जो कि बादामी में निवास कर रहे थे

श्री विष्णु पल्लव वंश के संस्थापक थे

श्री विष्णु के दरबार में एक कवि थे जिसका नाम था भारवी जिसकी किताब थी किरातावर्मन

राष्ट्रकूट वंश

अमोघवर्ष ने जल समाधि ली थी तुंगभद्रा नदी में

राष्ट्रकूट वंश के संस्थापक थे दंतिदुर्ग

राष्ट्रकूट की राजधानी थी मान्यखेत

अमोघवर्ष ने कन्नड़ में कविराज मार्ग की स्थापना की।

अमोघवर्ष जैन धर्म का उपासक था

राष्ट्रकूट के आखिरी शासक था कर्क

अमोघवर्ष के दरबारी और उनकी रचनाएं -

  1. जीनसेन  - आदिपुराण

  2. माहावीराचार्य - गणितासार संग्रह

  3. सक्तायना - अमोघवृत्ति

इन्द्र तृतीय के काल में आया था अलमसूदी जो कि अरब निवासी था

कृष्ण तृतीय के दरबार में पोन्न रहता था

कृष्ण तृतीय ने रचना की है शांति पुराण की

कृष्ण तृतीय के दरबार में आया था पोन्न

पन्प, पोन्न, रण

एलोरा में 34 गुफाएं हैं

एलोरा तथा एलेफेनटा केव और गुहा मंदिर की स्थापना राष्ट्रकूट के समय हुई थी

कौन सा वो राजा था जिसने दक्षिण से उत्तर भारत पर आक्रमण किया कन्नौज के लिए - धु्रव

अमोघ वर्ष जैन धर्म का उपासक था

धु्रव को धारावर्ष भी कहते थे

अमोघ वर्ष ने कन्नड़ में एक किताब लिखी थी जिसका नाम था कविराज मार्ग।

अमोघवर्ष के दरबारी और उनकी रचना -

जीनसेन - आदिपुराण

महावीराचार्य - गणितासार संग्रह

सक्तायना - अमोघवृति

अलमसूदी अरब निवासी था भारत आया था राष्ट्रकूट के समय इन्द्र तृतीय के समय में आया था

कृष्ण  


खिलजी वंश




संस्थापक के जलालुद्दीन खिलजी

गुलाम था अलाउद्दीन खिलजी

अलाउद्दीन खिलजी क्या करता है जलालुद्दीन को बोलता है मैं जा रहा हूं चंदेरी लड़ाई करने लेकिन जाता था देवगीरी जिसके शासक थे रामचन्द्रदेव तथा शंकरदेव लेकिन शंकरदेव उस वक्त वहां नहीं होता है तो अंत में अलाउद्दीन हरा देता है रामचन्द्रदेव को और देवगीरी से चैथ ले लेता है।

जलाउद्दीन खिलजी की हत्या किसने की थी - उसके दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ामानिकपुर में की थी

वारंगल के काकतिय वंश का एक शासक था गणपति जिसकी एक पुत्री थी रूद्रमा जिसने 35 साल तक शासक किया था

दक्षिण में महिला शासक में रूद्रमा देवी ने 35 साल शासन किया था

रूद्रमा देवी की शादी वीरभद्र से हुई थी


वारंगल के काकतीय वंश का आखिरी शासक था प्रतापरूद्र

खिलजी वंश का आखिरी शासक था मुबारक खिलजी जिसे उसके सेनापति गयासुद्दीन तुगलक ने मार दिया था




तुगलक वंश



तुगलक वंश के संस्थापक कौन थे  - गयासुद्दीन तुगलक

नहरों का जाल फिरौज साह तुगलक ने बनाया था

गयासुद्दीन का बेटा होता है मोहम्मद बिन तुगलक/जुनाखां जिसने काकतीय वंश के आखिरी शासक प्रतापरूद्र को मारा था

सांकेतिक मुद्रा मुहम्मद बिन तुगलक के समय हुआ


वारंगल का काकतीय वंश

काकतीय वंश का संस्थापक था बीटा प्रथम

काकतीय वंश का राजधानी था अमकोड़

काकतीय वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था गणपति जिसकी पुत्री थी रूद्रमा जिसने दक्षिण में महिला शासक के रूप में शासन किया था

रूद्रमादेवी की शादी वीरभद्र से हुई थी

इस वंश का का आखिरी शासक था प्रतापरूद्र

प्रतापरूद्र को मोहम्मद बिन तुगलक या जुनाखां ने हराया था

गणपति के समय राजधानी थी वारंगल



यादव वंश

देवीगीरी के यादव वंश की स्थापना की थी भिल्लम पंचम

राजधानी थी देवगीरी

रामचन्द्रदेव


सीमावर्ती राजवंश

सीमावर्ती में पाल वंश , शेन वंश , कामरूप वर्मन वंश ये तीन वंश हुआ करते थे ।

पाल वंश


इसका शासक था गोपाल

गोपाल ने एक विश्वविद्यालय बनाई जिसका नाम था उदंतपुरी विश्वविद्यालय

बौद्व मठ देवपाल ने बनाया था 

धर्मपाल इस वंश का दूसरा शासक था - 

नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित किया था - धर्मपाल ने



सेन वंश

इस वंश के संस्थापक थे सामंत सेन

विजय सेन

बल्लाल सेन

लक्ष्मण सेन 

बल्लाल सेन की रचना थी दृ दान सागरएअद्भुत सागर

अद्भुत सागर को पूरा किया था बल्लाल सेन के पुत्र लक्ष्मण सेन ने 


राजपूत वंश

वासुदेव थे इसके संस्थापक

दरबारी कवी के इनके चंदरबरदई



चोल वंश

चोल के संस्थापक थे विजयवालय


सिन्धु घाटी सभ्यता


सिन्धु घटी सभ्यता 2400 से 700 बीण्सी के मध्य हुआ था 

सिन्धु घटी का विस्तार त्रिभुजाकार था 

हड़प्पा किस नदी के किनारे हुआ था दृ रावी

कालीबंगन किस नदी के किनारे हुआ था दृ घग्गर

मोहनजोदड़ो किस नदी के किनारे हुआ था दृ सिन्धु 

चन्हुदड़ो किस नदी के किनारे हुआ था दृ सिन्धु

कोतदीजी किस नदी के किनारे हुआ था दृ सिन्धु 

बनमाली किस नदी के किनारे हुआ था दृ रंगोई

लोथल किस नदी के किनारे हुआ था दृ भोगवा

रोपड़ किस नदी के किनारे हुआ था दृ सतलज नदी 

बंदरगाह दृ 

लोथल

सुरकोतदा

बालाकोट

कुन्तासी

अल्लादिनों

कालीबंगन कहाँ है दृ राजस्तान

घोड़े के अवशेष कहाँ मिले दृ सुरकोतदा

सेलखडी का उपयोग दृ हड़प्पा की मुद्दाओं में

पैमाने की खोज सिधुं घाटी में कहाँ हुआ था दृ लोथल

हड़प्पा  के खोजकर्ता थे दृ दयाराम शाहनी;1921द्ध

मोहनजोदड़ो के खोजकर्ता थे दृ राखलदास बैनर्जी;1922द्ध

रंगपुर के खोजकर्ता थे दृ रंगनाथ राव ;1953 दृ 1954द्ध

लोथल के खोजकर्ता थे दृ रंगनाथ राव 

मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ है दृ मृतकों का टीला

ताम्बें का रथ मिला है दृ दैमाबाद में मिला है 

मांडा मिला है दृ जम्मू और कश्मीर में 

स्वतंत्रता के बाद सबसे ज्यादा खोज हुआ दृ लोथल ;गुजरातद्ध में 

जार में मछली को चोंच में दबाये हुए चिड़िया और निचे खड़ा हुआ लोमड़ी का चित्र जो पंचतंत्र की कहानी से मेल खाता है दृ लोथल से प्राप्त हुआ है 

ईट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजे का निशान मिला है दृ चन्हुदड़ो से 

पुजारी की प्रस्तर मूर्ति .  हड़प्पा में मिली है 

मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी ईमारत थी दृ स्नानागार

घरों में कुँवें के अवशेष मिले हैं दृ मोहनजोदड़ो


 




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Polity

  1.    सन 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई थी जिसका परमिशन ब्रिटिश की महारानी एलीजाबेथ ने दिया था 2.    परमिशन में चार्टर दिया गया था साथ ही मोनोपोली दी गयी थी अलीजाबेत के द्वारा 3.    बिटिश ईष्ट इंडिया कंपनी भारत शिप से आई थी जिस शिप का नाम था रेड ड्रैगन 4.    भारत में आने के बाद उन्होंने पहली फैक्ट्री 1611 मछलीपटनम में बनाई 5.    दूसरी फैक्ट्री 1612 में सूरत में बनाया था 6.    फैक्ट्री नियन्त्र के लिए तीन प्रेसीडेंसी बनायीं गयी जो थी बॉम्बे, बंगाल, मद्रास 7.    बंगाल का राजा था सिराजुदुल्ला और ब्रिटिश रोबर्ट clive युद्ध किया 1757 ऐसा जिसे battle of plasi कहा गया जिसमें रोबर्ट clive की जीत हुयी 8.    कंपनी का rule 1773 से 1858 तक चला था 9.    ताज का शाशन था 1858 से 1947 10.    Regulating act आया था 1773 में 11.    Act of settlement आया था 1781 में 12.    भारत परिषद् अधिनियम आया था 1861, 1892, 1909 13.    Govt of इंडिया act आया था 1858 में 14.                  ब्रिटिश सरकार ने 1773 में एक regulating act लाया गया जिसमें बंगाल को हेड बनाया गया जिसे गवर्नर जनरल कहा गया बंगा

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Question: How to create without generic Int type Node ? Ans:  public class Node { // this is Node class without Generic int data ; // this is for data like array Element Node next ; //Node ek class hai , usi class ka khud ka variable hai, This is Node(Class) Type variable for //Node is basically refer to class , this is for next element Node ( int data ){ // this is constructor bcse user will pass data value and int because we want to create int type data constructor this . data = data ; // this is refer data next = null ; } }  

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 Question: You have made a smartphone app and want to set its subscription price such that the profit earned is maximised. There are certain users who will subscribe to your app only if their budget is greater than or equal to your price. You will be provided with a list of size N having budgets of subscribers and you need to return the maximum profit that you can earn. Lets say you decide that price of your app is Rs. x and there are N number of subscribers. So maximum profit you can earn is : m*x Sample input 1: 30 20 53 14 Output 60 import   java . util .*; import   java . util . Scanner ; public   class   solution   {      public   static   int   maximumProfit ( int   budget [])   {      Arrays . sort ( budget );          // int maxProfit = 0;          // // Iterate through each possible subscription price and calculate profit          // for (int i = 0; i < budget.length; i++) {          //     int currentProfit = budget[i] * (budget.length - i);          //     maxProfit = Mat